यहॉं अफवाह का दरिया, बहाने लोग आए हैं (हिंदी गजल/ गीतिका)
यहॉं अफवाह का दरिया, बहाने लोग आए हैं (हिंदी गजल/ गीतिका)*
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1
यहॉं अफवाह का दरिया, बहाने लोग आए हैं
शहर में आग फिर देखो, लगाने लोग आए हैं
2
नमक-चीनी या आटे की, किसी भी बात पर हमको
ये दुश्मन देश के फिर, बरगलाने लोग आए हैं
3
न इनकी बात पर हर्गिज, तुम्हें विश्वास करना है
ये बेसिर-पैर की बातें, बताने लोग आए हैं
4
ये सारे चाहते हैं अब, अमन को खत्म कर देना
बतंगड़ बात का यह सब, बनाने लोग आए हैं
5
इन्हें कब भा रहे हैं देश के बढ़ते कदम आगे
ये झगड़े हममें आपस में, कराने लोग आए हैं
6
हमारा धैर्य ही सबसे बड़ी ताकत हमारी है
हमें उस धैर्य से ही, डगमगाने लोग आए हैं
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रचयिता:रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451