शरीर
गली के चौराहे पर
फटे पुराने पोशाक में
खड़ी है अपने साथ
शरीर को लेकर,
न कोई दिशा न मंजिल
फिरभी खड़ी है वह
शरीर के ईंधन के लिए।
गली के चौराहे पर
फटे पुराने पोशाक में
खड़ी है अपने साथ
शरीर को लेकर,
न कोई दिशा न मंजिल
फिरभी खड़ी है वह
शरीर के ईंधन के लिए।