Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jan 2023 · 1 min read

शरीफों को, सरगोशी अच्छी नही लगती

दोस्तो,
एक मौलिक ग़ज़ल आपकी मुहब्बतों के हवाले मुलाहिज़ा फरमाऐं,,,!!

ग़ज़ल
====

समन्दर को खामोशी अच्छी नही लगती,
शरीफों को, सरगोशी अच्छी नही लगती,
=========================

फितरत हो जख़्म देने की, मुख से उनके,
सुनो, अब सरफरोशी अच्छी नही लगती।
=========================

कर लिया मकसद पूरा कोई बात नही पर,
ये अहसान फरामोशी अच्छी नही लगती।
=========================

अस्तीन के तुम सांप जो बन गये हो सुनो,
सिर तुम्हारे ताजपोशी अच्छी नही लगती।
=========================

खुदगर्ज़ तुम इतना हों कि मुझको तुम्हारी,
अब कातिल गर्मजोशी अच्छी नही लगती।
=========================

परवाह न की चालाकियों की मैंने “जैदि”,
अब मुझे, ये मदहोशी अच्छी नही लगती।
=========================

शायर:-“जैदि”
डॉ.एल.सी.जैदिया “जैदि”

Language: Hindi
104 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मुझे बदनाम करने की कोशिश में लगा है.........,
मुझे बदनाम करने की कोशिश में लगा है.........,
कवि दीपक बवेजा
धड़कनें जो मेरी थम भी जाये तो,
धड़कनें जो मेरी थम भी जाये तो,
हिमांशु Kulshrestha
यूँ तो हम अपने दुश्मनों का भी सम्मान करते हैं
यूँ तो हम अपने दुश्मनों का भी सम्मान करते हैं
ruby kumari
रंगे अमन
रंगे अमन
DR ARUN KUMAR SHASTRI
यूं हर हर क़दम-ओ-निशां पे है ज़िल्लतें
यूं हर हर क़दम-ओ-निशां पे है ज़िल्लतें
Aish Sirmour
आज़ाद पैदा हुआ आज़ाद था और आज भी आजाद है।मौत के घाट उतार कर
आज़ाद पैदा हुआ आज़ाद था और आज भी आजाद है।मौत के घाट उतार कर
Rj Anand Prajapati
वक्त
वक्त
Astuti Kumari
लक्ष्मी
लक्ष्मी
Bodhisatva kastooriya
(25) यह जीवन की साँझ, और यह लम्बा रस्ता !
(25) यह जीवन की साँझ, और यह लम्बा रस्ता !
Kishore Nigam
3072.*पूर्णिका*
3072.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आओ थोड़ा जी लेते हैं
आओ थोड़ा जी लेते हैं
Dr. Pradeep Kumar Sharma
वह
वह
Lalit Singh thakur
आईना
आईना
Dr Parveen Thakur
जिंदगी के तराने
जिंदगी के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
प्याली से चाय हो की ,
प्याली से चाय हो की ,
sushil sarna
दोहा-प्रहार
दोहा-प्रहार
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मैं चाँद को तोड़ कर लाने से रहा,
मैं चाँद को तोड़ कर लाने से रहा,
Vishal babu (vishu)
"दो धाराएँ"
Dr. Kishan tandon kranti
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
*आई वर्षा देखिए, कैसी है सुर-ताल* (कुंडलिया)
*आई वर्षा देखिए, कैसी है सुर-ताल* (कुंडलिया)
Ravi Prakash
******शिव******
******शिव******
Kavita Chouhan
गौरेया (ताटंक छन्द)
गौरेया (ताटंक छन्द)
नाथ सोनांचली
आवश्यक मतदान है
आवश्यक मतदान है
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
इजहार ए इश्क
इजहार ए इश्क
साहित्य गौरव
सफलता मिलना कब पक्का हो जाता है।
सफलता मिलना कब पक्का हो जाता है।
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
दिल धड़कता नही अब तुम्हारे बिना
दिल धड़कता नही अब तुम्हारे बिना
Ram Krishan Rastogi
अधूरे सवाल
अधूरे सवाल
Shyam Sundar Subramanian
पाया ऊँचा ओहदा, रही निम्न क्यों सोच ?
पाया ऊँचा ओहदा, रही निम्न क्यों सोच ?
डॉ.सीमा अग्रवाल
*** लम्हा.....!!! ***
*** लम्हा.....!!! ***
VEDANTA PATEL
जो गर्मी शीत वर्षा में भी सातों दिन कमाता था।
जो गर्मी शीत वर्षा में भी सातों दिन कमाता था।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...