शब्द पिरामिड
शब्द पिरामिड
सुन
याद तुम्हारी
सदा सताती रहती
हम तुमसे मिल लेते
कभी नहीं रुकता क्षण भर
मन पुष्पक बन कर उड़ जाता
पास तुम्हारे हर पल हाजिर वह होता।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।
शब्द पिरामिड
सुन
याद तुम्हारी
सदा सताती रहती
हम तुमसे मिल लेते
कभी नहीं रुकता क्षण भर
मन पुष्पक बन कर उड़ जाता
पास तुम्हारे हर पल हाजिर वह होता।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।