शबनम की बूँदे प्यासी
हमने देखी है, जीवन में फ़क़त उदासी
फूलों की गोद में, बूँदे-शबनम भी प्यासी
हम तो समझे थे कुछ लाभ मिलेगा लेकिन
इश्क़ किया तो बिगड़ी, तबियत अच्छी-ख़ासी
आँधी में सिर पे चढ़ बैठी धूल ज़मीं की
बरसों से जो थी हमारे चरणों की दासी
ब्याह किया तो क्या डर है ज़िम्मेदारी से
खाये जा जब तलक मिले ये रोटी बासी
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तुझको ठीक से जाने, इस क़ाबिल नहीं हैं हम
कैसे ठहरें तेरे आगे, मुक़ाबिल नहीं हैं हम