शंखनाद
शंखनाद
जब सूरज ही सो जाएगा,रातों को कौन भगाएगा?
मालिक लापरवाह बने यदि,हर श्रमिक सुस्त हो जाएगा।
शिक्षक अगर विरत शिक्षण से,बच्चों को कौन पढ़ाएगा?
धन-दौलत सब चौपट होगा,मयखाना में जब जाएगा।
जो करता है सब की निंदा, वह पतित सदा कहलाएगा।
जो उत्साहित करे सभी को, प्रिय महान वह बन जाएगा।
पिता पियक्कड़ निकल गया जब,बच्चों को कौन बचाएगा?
जिसके मन में भाव सुन्दरम,वह व्यक्तित्व निखर जाएगा ।
लालच तृष्णा जिसके भीतर,वही कूप में गिर जाएगा।
गलत कृत्य से जो भय खाता,वही सत्य में रम जाएगा।
जो चरित्र की रक्षा करता,वही संत शिव कहलाएगा।
बिना स्वार्थ के दान करे जो,जगत उसी को नित गाएगा।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।