वफ़ाओं का अपनी हवन कर रहा हूँ
तुझे ऐ मुहब्बत! नमन कर रहा हूँ
वफ़ाओं का अपनी हवन कर रहा हूँ
ये उल्फ़त भला क्यों मुझे देती खुशियाँ
फ़क़त ज़ुल्म पाए, सहन कर रहा हूँ
मैं बहला रहा हूँ फ़क़त टूटे दिल को
मैं उजड़े सहन को चमन कर रहा हूँ
‘महावीर’ चुप हूँ, अदब जानता हूँ
इसी से मैं सब कुछ सहन कर रहा हूँ