वक़्त
? “वक़्त” ?
वक़्त …
वक़्त वक़्त की बात हैं
कौन किसे,कौन वक़्त
याद करता हैं
वक़्त …
सतत, व्यापक अनिश्चित
ऎसे ही
समयारूप चलता रहता हैं
वक़्त …
दीर्धकाल से वक़्त का पहिया
ऐसे ही हर वक़्त चलता रहता हैं
वक़्त …
नही ठहरता किसी के लिये
बड़े बड़े वक़्त की मार खाये हैं
हारे हैं, हारेंगे ऐसे ही पछताये हैं
वक़्त ऐसे ही बढ़ता रहता हैं
वक़्त….
ये मौसम, दिन,रात सभी
ऐसे ही गुज़रते रहते है
अपनों को भूलते जा रहे हैं
वक़्त ऐसे ही गुज़रता रहता हैं!!
®आकिब जावेद