“व्हाट्सप्प और मैसेंजर के रणक्षेत्र में ‘छद्म -युद्ध ‘“
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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पौराणिक शास्त्रों में मायावी राक्षस हुआ करते थे ! रावण ,कुम्हकरण ,मेघनाद और ना जाने कितने लोगों ने अपने जप -तप से मायावी शक्तियों को अपने वश में कर लिया था ! अपने रूप को बदल कर या आकाश में विलुप्त होकर विभिन्य अस्र और शस्त्रों का प्रयोग कर लोगों को आहत करते रहते थे ! वे युग चले गए और उनकी कहानियाँ इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह गयीं ! पर उस समय की युद्ध -कला आज भी विख्यात हो गई है !
आज कल छद्म -युद्ध के सभी महारथी बन गए हैं ! “व्हाट्सप्प”और “ मैसेंजर “ कुरुक्षेत्र का मैदान बन गया है ! गूगल ने “स्टीकर” और “GIF” के अद्भुत समिश्रणों से अनोखे परमाणु शस्त्रों का आविष्कार किया है ! दिवाली स्टीकर ,…….भैया दूज स्टीकर, ………..काली पूजा स्टीकर,………छठ पूजा स्टीकर ,………सोमबार और सारे दिनों का स्टीकर ,……..जन्म दिनों का स्टीकर ,…………….सालगिरह का स्टीकर ………स्वतंत्रता दिवस ,…………गणतंत्र दिवस स्टीकर ,…..मदर डे ,…….फादर डे और ना जाने कितने परमाणुओं के आक्रमण से नए महाभारत की घोषणा होने लगती है ! हमारे एक धनुर्धर दोस्त कलकत्ता में बैठे हुए हैं ! सुबह करीब 5 परमाणु शस्त्रों का प्रयोग करते हैं ! फिर एक गुड आफ्टर नून का स्टिकर ,……फिर गुड ईभिनिग का स्टीकर और फिर ……..गुड नाइट का स्टीकर ! हम लाख उन्हें प्यार के दो शब्द लिख भेजें पर वे तो छद्म-युद्ध के महारथी हैं ! आभार ,अभिनंदन ,स्नेह और प्यार के शब्दों को ना जानते हैं और ना लिखने की जहमत ही उठाते हैं !
मैसेंजर का भी यही हाल है ! बस ,फेसबुक के धनुर्धारी तमाम स्टिकरों का प्रयोग करते हैं और नाटकीय भंगिमाओं से अपने अंगूठे को जरूर दिखलाएंगे ! कोई कुछ भी संवाद करना चाहता हो उसे वे नजरंदाज कर देते हैं ! आखिर कुछ चीजों को छोड़कर प्रभावहीन अस्त्र का प्रयोग लोग करते हैं ! हमें पहले यह अनुमान लगाना आवश्यक है कि लोग क्या पसंद करते हैं ? उन्हें किसकी चाह है ? हम गलत संदेश और अपरिपक्व अस्त्र से सटीक टारगेट पर फायर ही नहीं कर सकते !
छद्म – युद्ध से हम भले ही कुछ क्षणों के लिए हम महारथी बन जाएँ पर हम कभी किसी के हृदय में नहीं बस सकते ! कोई आपके हृदय में बसना चाहता है ,दो मीठे बोल बोलना चाहता है और कुछ आपको लिखता हो ,परंतु आप स्तब्ध और मौन हो जाते हैं ! और एक पर एक परमाणु स्टिकर से प्रहार करना प्रारंभ कर देते हैं ! कई लोगों की दृष्टता तो इस कदर बड़ जाती है कि उनका आक्रमण टाइमलाइन की दहलीज तक भी पहुँच जाता हैं ! आप जो उचित समझते हैं उसे आप भेजें पर दूसरे जो आपको भेजते हैं उसके प्रतिकार में सकारात्मक जवाब तो दें ! और सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि राजनीति विचारधाराओं के अस्त्रों का प्रयोग थोड़ा संभल कर करें ! हो सकता है हमारी राजनीति विचारधारा एक जैसी ना हो ! बार -बार राजनीति विचारधाराओं के वीडियो शेयर करना भी अशोभनीय माना जाता है !
संवाद ,टेलीफोनिक टॉक , अपने हाथों से लिखकर और समस्त मित्रों को समझकर ही हम छद्म -युद्ध का अंत कर सकते हैं अन्यथा हम करीब रहकर भी दूर हो जाएंगे ! डिजिटल मित्रता टूटने के बाद कभी जुड़ती नहीं है ! इसे टूटने ना दें !
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखंड
भारत
06. 11. 2021.