” व्हाटस्प को ब्रह्मास्त्र समझें “
डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
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हमें गूगल ने विभिन्न अस्त्रों से सुसज्जित किया है ..फेसबुक ..मेस्सेज …स्क्य्प …ईमेल….व्हाटस्प…… इत्यादि…इत्यादियों ने हमारी काया पलट कर दी ! हम मानो इनफार्मेशन और टेक्नोलॉजी रणभूमि के महारथी बन गए ! उनदिनों हमारे पास पारम्परिक अस्त्र -शस्त्र थे …पहले कबूतर युग आया …सन्देश वाहक सन्देश ले जाया करते थे !….. फिर चिठ्ठियों का दौर आया ! टेलीग्राम और टेलीफोनों ने तो हमारे जीवन का रंग रूप ही बदल दिया ! …पर नये-नये अविष्कारों ने नये-नये परमाणुओं को जन्म दे दिया ! पुराने अस्त्र -शस्त्रों को तो अब हमने संग्रालयों में रख दिया है …अब ये इतिहासों के पन्नों में सिमट गये…**याद आती है ” कबूतर जा ..जा ..जा “…कबूतर के पास चिठ्ठियाँ होती थी ..उनमें प्यार का पैगाम होता था !..सन्देश वाहक ..सन्देश लिखा हुआ ले जाते थे ….टेलीग्राम में भी लिखा जाता था ..परन्तु संछिप्त में ! ..टेलीफोनों में मिस कॉल नहीं होते थे !..प्रहारों में ‘ छद्म युद्ध ‘ नहीं होते थे !…** हम जितने आधुनिक उपकरणों से सुसज्जित हो गये ..हम उतने ही अकर्मण्य बनते चले गए ! …फेसबुक ..मेस्सेज …स्क्य्प …और ईमेल ..की बातें हम क्या करें ? ..हमारे व्हाटस्प के ब्रह्मास्त्र ही हम से सम्हालते नहीं …विरले ही देखने को मिलता है कि कोई किन्हीं को जबाब दे दें !..किसी ने अपनी मेहनतों से अपना विचार …अपना लेख ..अपनी कृतियाँ …अपनी समालोचना ..को लिखा और व्हाटस्प पर भेजता है ….तो मजाल है कि किसी ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया हो …हम तो पहले ही ठीक थे …हाँ …यह बात तो मानने वाली है कि ..किन्हीं के पोस्टों को लिया ..और किन्हीं में चिपका दिया !…पर… सब तो ऐसे हो नहीं सकते ! …हम लाख बेतुकी पोस्टों से लोंगो का सर फोड़ते हैं ..और व्हाटस्प ब्रह्मास्त्र का प्रयोग करना भूल जाते हैं ! ..धन्यवाद ….आभार …स्नेह …अभिवादन ….शब्द मानो विलुप्त होने लगा ..व्हाटस्प ब्रह्मास्त्र अब खिलौना बन गया !
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डॉ लक्ष्मण झा “परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका