व्यवाहारिक कुशलता
मोतीलाल जी बार बार कहते हैं,
धार्मिक होना ज्यादा मुश्किल नहीं है.
एक मूर्ति रखनी है,एक थाली में श्रद्धा
के हिसाब से,
एक दीपक,ज्योत,माचिस, घी या तेल.
कुछ फूल,फल,पत्र आपका जैसे आयोजन.
इनमें जटिल कुछ भी नहीं.
मुश्किलें बढ़ जाती हैं.
जब आप औरों से.
खुद को श्रेष्ठ महान् और जनता से अलग समझने लगते है,
आपकी *व्यवाहारिक *दृष्टिकोण बदल जाते है.
सीखना बस यही होता है.
व्यवाहारिक *कुशलता जो आपके जीवन को नई ऊंचाई प्रदान करती है.
भूल हो गई आप से.
असफलता निश्चित है.
कोई नहीं बचा सकता आपको.
खुद के सिवा.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस