व्यवाहरिक छलावा और गुलाम भारत.
एक *व्यवहार
एक *वाद और एक ही *विवाद
एक *जरूरत एक *आदत और एक ही *फसाद
धर्म और उसके उत्पाद.
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इन सबसे जन्मे
पूँजीवाद/उद्योग/समाजवाद/साम्यवाद/नाजीवाद/फासिज्म
एक *योजना *आपसी-तालमेल में
प्रमुख :- पूँजीवाद/समाजवाद/साम्यवाद
क्षेत्र = यूरोप/एशिया
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अब इन सबकी *योजनाओं में मेल/सामंजस्य क्या है ?
सबकुछ *असेट्स/भौतिक-मूल्य *जैसे जमीन/पशु यानि मूलभूत स्त्रोत
इतिहास:- पूँजीवाद/capitalism 16वीं शताब्दी चर्म पर.
फिर पतन की ओर.
औद्योगिक-क्रांति 19वी शताब्दी,
समाजवाद/साम्यवाद
फासिज्म..मैसोलिनी
नाजीवाद.. जर्मनी..हिटलर
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मुनाफा/profit पैसा/पूँजी/Capital
रोजगार/तनख्वाह/Salary/Bonus/Revenue
के निर्धारण का आधार ही पहचान देता है.
हैंडलिंग… सरकार/व्यक्ति/संगठन … काजी/निर्णायक बनते है.
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भारत ने इन सबको ..धर्म आधारित हेकड़ी से निर्धारण ..जैसे वर्ण व्यवस्था, जाति निर्धारित, दास/अछूत/शूद्र
शूद्रों को भौतिक वस्तुओं से वंचित कर सभी मूल्यवान चीजों को रखना अपराध, स्त्रियों का दमन
शिक्षा और रोजगार पर रोक करके.
ऐसी व्यवस्था बनाई.
स्वाभाविक व्यवहार/लेनदेन से अधोलिखित आधार बनते है.
वर्ग जो सिर्फ़ अमीरी/गरीबी पैदा कर सकती है.
मालिक और मजदूर
बल्कि धर्मम ने सीधे अछूते पैदा किये.
सभी संभावनाएं समाप्त.
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भारत ने इकतरफ़ा धर्म को आधार बनाकर
समाजवाद:- संवैधानिक काल ( 26 जनवरी 1950 से …अबतक वहन किया गया है )
साम्यवाद (रुस जिसका उदाहरण .. वह भी खंडित)
वर्ग-रहित, मालिकियत सरकारी, जमीन, घर, असेट्स अब डैमोक्रेटिक.
चीन ..जापान, फ्रांस
नाजीवाद का उदाहरण जर्मनी हिटलर
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भारत अब फिर से चपेट में जहाँ ये सब राष्ट्रवाद यानि Nationalism के मारफत.
जहाँ पर ..
सरकार का जनता पर टैक्स का बोझ.
militant/गठजोड़/नेक्सस को संरक्षण.
भाई भतीजावाद funds को प्रदान करना.
free market capitalism
crony capitalism …
भारत में मुर्दे …चीखने लगे हैं.
आप खुले मन से देखेंगे सभी का मिलेजुला असर.
जिसमें देश की जनता खुद को असहाय महसूस कर रही है.
संविधान ही बाबा साहब का अमर परिचय.
भारत की एकमात्र शानदार अभिव्यक्ति #संविधान.
~ डॉ. महेन्द्र सिंह हंस ~