व्यंग्य कविता
आज देश तमाशे वा
तमाचों के दौर से गुजर रहा है
जो झेल रहे है उन्हें सांत्वना,
जो झोल मे है,
उन्हें सद् मार्ग मिले,
ऐसी कामना के साथ,
वो ही ??? जिसके वे हकदार हैं.
तुम अच्छे उपभोक्ता बनों,
हम तुम्हारे लिए
हर बामुश्किल नामुमकिन
धरातल देंगे.
भाषण, वोकल,लोकल,जॉकल
प्रवचन से देश को नए आयाम
नई ऊंचाई देने का प्रयास करेंगे