वो लम्हें
काश
वो लम्हें
खुशनुमा मेरी जिन्दगी के
लौटकर वापिस मेरे पास आ सकते
काश जो बीत गया
उसे हम वापिस पा सकते
काश तुम इतनी जल्दी एक याद न बनते
हम तुम्हें अपने सामने देखकर
यूं ही मुस्कुराते रहते
गीत कोई मोहब्बत का,
वफा का गाते रहते
काश उन लम्हों को हम जिन्दा कर
पाते
काश उन लम्हों को हम कल की तरह ही
आज भी जी पाते
काश उन लम्हों जैसे मिलते
जुलते लम्हें मुझे आज भी नसीब होते
काश वो लम्हें जीवन्त से मेरे आगोश में
सिमटने के लिए मेरे सामने खड़े होते।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001