वो मेरी जान अब होने लगा है
कोई मेहमान अब होने लगा है
वो मेरी जान अब होने लगा है
सफ़र मुश्किल था मेरा तू नहीं था
मगर आसान अब होने लगा है
गुलों से कर रहा था नफ़रतें जो
वो ख़ुद गुलदान अब होने लगा है
हुआ धनवान है जबसे वो यारों
कोई भगवान अब होने लगा है
ठहरना अब यहाँ मुश्किल है मेरा
मेरा अपमान अब होने लगा है
यकीं जिसको है होगा कुछ नहीं
वही हैरान अब होने लगा है
बिका ईमान है ‘आनन्द’ उसका
वो बे-फ़रमान अब होने लगा है
डॉ आनन्द किशोर