Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
15 Jan 2019 · 2 min read

*** वो उड़ती हुई पतंग ***

।। श्री परमात्मने नमः ।।
***लघु कथा ***
*** वो उड़ती हुई पतंग***
बचपन के वो सुहाने दिनों की याद करते हुए जब मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की होड लगी हुई रहती है लेकिन हमें घर वालों को पतंग उड़ाने के लिए छत पर डर लगता था कहीं पतंग उड़ाते हुए गिर पड़े और लेने के देने कहीं हाथ पैर में चोट न लग जाये ऐसी स्थिति में पतंग उड़ाने की इजाजत नहीं दी जाती थी लेकिन मेरा भाई मानता ही नही था और चुपके चुपके से रंगीन कागज, आटे की लुगदी ,सिंक बांस की छोटी छोटी लकड़ी का टुकड़ा काटकर सभी चीजें तैयारी करके ऊपर छत पर चले जाता था और पतंग उड़ाने को कांच के टुकड़े से मांझना याने तेज धारी करते हुए उसके हाथों में खून निकलने लगता था और छाले पड़ जाते थे लेकिन अपनी धुन में उसे कुछ सूझता ही नही था।
यह सभी काम पतंग बनाने मॉन्झा बनाने का तब करता था जब हम दोपहर को सोते रहते और वह चुपचाप यह पतंग बनाने का काम छत पर ही करता रहता था फिर उसे कहीं घर पर ही छुपा कर रख देता था ताकि हम घरवाले देखकर डांटे नही छुप छुप कर पतंग बनाकर रख देता था।
जब मकर संक्रांति पर्व के दिन शाम को छोटी बहन को छत पर ले जाकर पतंग उड़ाने के लिए डोरी पकड़ने बुलाता था और सारे पतंग को उड़ाकर देखता कहीं कोई पतंग में कोई डिफेक्ट रहता जो पतंग सही से नही उड़ती उसे सुधारते हुए छत पर नीले आसमान में पतंग उड़ाते हुए जब पतंग लहराते ऊँचाइयों में हवाओं के साथ उड़ती तो जीत हासिल की खुशियाँ जाहिर प्रगट करता था ।
उसके बाद छोटी बहन हम सभी को छत पर से आवाज देकर बुलाती आओ मिलकर भाई की पतंग उड़ाने का बेहतरीन नजारा देखने के लिए ऊपर छत में आ जाओ
हम सभी छत पर आकर भाई की पतंग उड़ाने का तरीका देखते हुए और उसके पतंग बनाने की पूरी कहानी बतलाता तो हमे बेहद सचमुच ही बहुत ख़ुशी मिलती थी।
वो मकर संक्रांति पर्व की यादगार पतंग उड़ाने की मजेदार बातें कुछ सुकून देती फिर लगता कि किसी भी पर्व को आसानी से अपने ढंग से एक दूसरे के साथ परिवार वालों के साथ मनाया जा सकता है।
जब भाई की लहराती हुई पतंग उड़ाने की कला को हम सभी स्तब्ध होकर देखते ही रह जाते थे आसमान में उड़ती हुई पतंग मानो कह रही हो *वो उड़ चली मेरी ख्वाहिशों की पतंग उडी चली * जब ऊँचाइयों में पतंग उड़ती तो हम ताली बजाते हुए ख़ुशी का इजहार करते थे
असली ख़ुशी सभी परिवार वालों के साथ में ही मिलती है।
***राधैय राधैय जय श्री कृष्णा ***
*** श्रीमती शशिकला व्यास ***
#* भोपाल मध्यप्रदेश *#

Language: Hindi
719 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जाति आज भी जिंदा है...
जाति आज भी जिंदा है...
आर एस आघात
భారత దేశ వీరుల్లారా
భారత దేశ వీరుల్లారా
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
आपकी आत्मचेतना और आत्मविश्वास ही आपको सबसे अधिक प्रेरित करने
आपकी आत्मचेतना और आत्मविश्वास ही आपको सबसे अधिक प्रेरित करने
Neelam Sharma
कहानी घर-घर की
कहानी घर-घर की
Brijpal Singh
वियोग आपसी प्रेम बढ़ाता है...
वियोग आपसी प्रेम बढ़ाता है...
Ajit Kumar "Karn"
आंखे मोहब्बत की पहली संकेत देती है जबकि मुस्कुराहट दूसरी और
आंखे मोहब्बत की पहली संकेत देती है जबकि मुस्कुराहट दूसरी और
Rj Anand Prajapati
2671.*पूर्णिका*
2671.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
"शब्दों से बयां नहीं कर सकता मैं ll
पूर्वार्थ
जीवन में कुछ पाना है तो झुकना सीखिए कुएं में उतरने वाली बाल्
जीवन में कुछ पाना है तो झुकना सीखिए कुएं में उतरने वाली बाल्
Ranjeet kumar patre
!! राम जीवित रहे !!
!! राम जीवित रहे !!
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
मोहब्बत और मयकशी में
मोहब्बत और मयकशी में
शेखर सिंह
मां के किसी कोने में आज भी बचपन खेलता हैयाद आती है गुल्ली डं
मां के किसी कोने में आज भी बचपन खेलता हैयाद आती है गुल्ली डं
Ashwini sharma
पिता
पिता
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
मुक्ति
मुक्ति
Shashi Mahajan
यादें
यादें
Dr. Rajeev Jain
पैसे की क़ीमत.
पैसे की क़ीमत.
Piyush Goel
अच्छा लिखने की तमन्ना है
अच्छा लिखने की तमन्ना है
Sonam Puneet Dubey
हम शिक्षक
हम शिक्षक
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
दिनांक,,,11/07/2024,,,
दिनांक,,,11/07/2024,,,
Neelofar Khan
माँ दहलीज के पार🙏
माँ दहलीज के पार🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
आखरी है खतरे की घंटी, जीवन का सत्य समझ जाओ
आखरी है खतरे की घंटी, जीवन का सत्य समझ जाओ
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
काव्य-अनुभव और काव्य-अनुभूति
काव्य-अनुभव और काव्य-अनुभूति
कवि रमेशराज
रंगमंच
रंगमंच
Ritu Asooja
जिन्दगी तेरे लिये
जिन्दगी तेरे लिये
पूनम कुमारी (आगाज ए दिल)
#आज_का_दोहा
#आज_का_दोहा
*प्रणय प्रभात*
मैं एक पल हूँ
मैं एक पल हूँ
Swami Ganganiya
ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत
ईश्वर से साक्षात्कार कराता है संगीत
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
नरेंद्र
नरेंद्र
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
उनकी तस्वीर
उनकी तस्वीर
Madhuyanka Raj
हक़ीक़त है
हक़ीक़त है
Dr fauzia Naseem shad
Loading...