वीर मंगई (बहादुर रानी) रानी वेलु नाचियार
सन १८५७ के ७७ बर्ष पूर्व, रानी वेलु नाचियार ने अंग्रेजों को हराया था
लड़कर अपना राज्य शिवगंगा, अंग्रेजों से बापिस पाया था
३ जनवरी सन १७३० में, तमिलनाडु के शिवगंगई क्षेत्र में रानी का जन्म हुआ था
रामनाड साम्राज्य के राजा, पिता चेल्लमुत्थु विजयरागुनाथ सेथुपति ने राजकुमारों की तरह पाला था
घुड़सवारी तीरंदाजी अस्त्र शस्त्र सिखलाया था
तमिल अंग्रेजी फ़ेंच और उर्दू में, पारंगत उन्हें बनाया था
१६ बर्ष की आयु में, शिवगंगा के राजा शशिवर्मा थेवर के पुत्र मुत्तु वेदुंगानाथ थेवर से विवाह हुआ था
राजबधू शिवगंगा की,उनको सौभाग्य मिला था
राजा शशिवर्मा का देहांत हुआ, पुत्र मुत्तु वेदुंगानाथ ने कमान संभाली
सलाहकार बनकर रानी ने, राज्य का किया संचालन और रखवाली
एक पुत्री वेल्लाची नाचियार हुई उन्हें, राज कुमारी नाजों पाली
ईस्ट इंडिया कंपनी ने,आरकोट पर कब्ज़ा किया
आरकोट नवाब मोहम्मद अली को,अपना पिट्ठू बना दिया
मोहम्मद अली की मदद से अंग्रेजों ने शिवगंगा पर आक्रमण किया
राजा मुत्तु वेदुंगानाथ ने, जमकर युद्ध में मुकाबला किया
तमिलनाडु के इतिहास में, सबसे बिध्वंसक युद्ध हुआ
वीरगति को प्राप्त हुए राजा, शिवगंगा का नाम हुसैन नगर हुआ
वीरगति की खबर सुन रानी ने, पुत्री सहित महल छोड़ दिया
नवाब और अंग्रेजी सेना को चकमा दे,डिंडिगुल राजा गोपाल नायक्कर का साथ लिया
शिवगंगा पुनः प्राप्त करने, मैसूर शासक हैदर अली से मिली रानी
सैनिक और अस्त्र शस्त्र ले, स्त्री सेना बनाई रानी
एक बहादुर महिला सिपाही, कुयली को सेनापति नियुक्त किया
सन १७८० में रानी ने युद्ध का बिगुल बजाया
गुप्तचरों से अंग्रेजी गोला बारूद, भंडार का पता लगाया
गोला बारूद नष्ट करने का जिम्मा, रानी ने बहादुर कुयली को सौंपा
कुयली ने अपने कपड़ों पर घी का लेप लगा,खुद को अग्नि में झोंका
गोला बारूद भंडार में कूद गई, बलिदानी वीरांगना ने किया धमाका
नष्ट किया भंडार अंग्रेजी, पहली आत्म बलिदानी बन कुयली ने खुद को झोंका
रानी वेलु ने किया आक्रमण, नवाब मोहम्मद अली अंग्रेजों को हराया
पाया पुनः अपना शिवगंगा, पराक्रम शौर्य साहस दिखाया
एक दशक तक फिर शिवगंगा पर, रानी ने सुशासन चलाया
तमिल वासियों ने रानी का शौर्य गान हृदय से गाया
२५ दिसंबर १७९६ को, रानी वेलु नाचियार देवलोक गईं
शौर्य और यशगाथा की छाप अमिट छोड़ गईं
आजादी के अमृत महोत्सव पर, हृदय से उन्हें प्रणाम है
भारत में वीरांगनाओं का, स्वर्ण अक्षरों में नाम है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी