वीरांगना झलकारी बाई
वीरांगना झलकारी बाई
भूल गया हिन्द जिसे वीरांगना झलकारी बाई थी।
रानी झांसी ने जो अपनी सेनापति बनाई थी।।
झांसी से दो कोस दूर ग्वालियर रोङ पर एक ग्राम है,
जहाँ झलकारी पैदा हुई उसका गांव भोजला नाम है,
सदोवा मूलचन्द पूज्य पिता, माता लहकारी बाई थी।।
तथाकथित नीची जाति कोरी में उसका जन्म हुआ,
दस वर्ष की अल्पायु में पूरण कोरी संग लगन हुआ,
इनके साहस की चर्चा होती दिन-दिन सवाई थी।।
अत्याचारियों को कुचलने, की सोचती रहती थी,
ह्यूरोज संग अंग्रेज सेना, उसे पागल लङकी कहती थी,
पूरणकोरी की वीरगति भी युद्धकौशल रोक न पाई थी।।
झलकारी के नेतृत्व में महिलाओं की फौज तैयार हुई,
नौ वर्ष में बाघ मारा बचपन से साहस पे सवार हुई,
वो खूंखार होकर लङी , अग्रेंज सेना खूब छकाई थी।।
लक्ष्मीबाई का लिबास पहन अंग्रेजों को चकमा देती थी,
रानी झांसी की हमशक्ल थी अंग्रेजों से लोहा लेती थी,
संग रानी झांसी के लङते , अन्तिम ओङ निभाई थी।।
अपनी विभूतियों को सिल्ला’ जो नस्लें भूल जाती हैं,
वो नस्लें भी अतीत के गर्त में हो धूल जाती हैं,
जो गुमनामी में खो गई , वो झलकारी बाई थी।।
-विनोद सिल्ला