विषय-माँ,मेरा उद्धार करो।
विषय-माँ,मेरा उद्धार करो।
शीर्षक-माँ का सजा दरबार है!
रचनाकारा-प्रिया प्रिंसेस पवाँर।
निकले हैं तारे,
चाँद का लेकर साथ।
चाँदनी पास बुलाए,
फैलाए जैसे अपने हाथ।
जैसे चांद-तारों का इतवार है।
कैसा सुंदर सजा दरबार है।
माँ दुर्गा की नवरात्रि,
माता है परम् सुखदात्री।
करे जो ध्यान माँ का मिले कृपा,
है माँ सिद्धि प्रदाता सिद्धिदात्री।
मिले दया यहाँ हर बार है।
सुख से सजा दरबार है।
सत्य, चरित्र मेरे आदर्श।
चाहूं जग-प्रेम का उत्कर्ष।
बनाओ जीवन को यश।
न बनाओ मानव जीवन अपयश।
मेरी जीवन नैया में,
मानवता की पतवार है।
जीवन पवित्र दुनिया,
मन का सजा दरबार है।
मानती मैं माँ के नियम,
कृपा मात की अपरम्पार है।
न बोलो झूठ,न करो बेईमानी।
नियति तो एक दिन अवश्य,सबको है आनी।
संवेदना,मानवता बने आधार।
कर्मनिष्ठा से बनो जीवन कर्णधार।
अगर माँ कृपा तो जीवन प्रेमी संसार है।
जर्रे-2 में सुखी सजा दरबार है!
माँ मेरा उद्धार करो।
जीवन नैया दुःख सागर से पार करो।
मेरे सब दुःख और पीर हरो।
सदैव अपनी कृपा,दया करो।
जीवन के कष्ट दूर करो।
मेरे जीवन में अपना प्रेम भरो।
जीवन मेरा भक्तिमय करो।
हे माँ!तुम से यही विनती प्रिया की,
बारम्बार है।
तेरे प्रेम की इच्छा हर बार है।
देख ये प्रसन्न है मेरा ह्रदय,
माँ का सजा दरबार है।
सुंदर,प्रेमी,भक्तिमय अनन्त मेरी माँ का,
सजा दरबार है।
दया माता की कण-कण में बरसती,
माँ का सजा दरबार है।
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
स्वरचित,मौलिक
द्वारका मोड़,नई दिल्ली-78
सर्वाधिकार सुरक्षित