विषय-कृषक मजदूर होते जा रहे हैं।
विषय-कृषक मजदूर होते जा रहे हैं।
शीर्षक-रोटी के लिए।
रचनाकार-प्रिया प्रिंसेस पवाँर
जय जवान और जय किसान का नारा था।
जमीन से जुड़ा जीवन हमारा था।
पहले जीवन बहुत सरल,बहुत सच्चा था।
कृषक का जीवन शांत,
अच्छा था।
अब जीवन पहले से अलग है।
हर कोई बस अपने तलक है।
अब हर तरफ महंगाई है।
कृषक के जीवन में तनाव,धन की कमी आई है।
बीज भी महंगे हैं, महंगा हुआ कृषि करना।
कृषक जीवन एक तनाव,
जीवन जैसे मरना।
बढ़ते प्रदूषण ने जमीन को जहरीली बना दिया।
उपजाऊ जमीन को विषैली बना दिया।
मिलावट हर चीज में होने लगी है।
फसल उगाने के साधन में मिलावट,
गुणवत्ता खोने लगी है।
किसान अब मजबूर हो गया है।
कृषक से मजदूर हो गया है।
पेट भरने के लिए,कृषि अब नहीं काफी रही।
न रहा उसकी मेहनत का इंसाफ,हो नाइंसाफी रही।
कृषक मजदूर होते जा रहें हैं।
अपने जमीन से दूर होते जा रहे हैं।
जीवन हुआ कठिन उनका,इसलिए मजबूर होते जा रहें हैं।
जीने में इतना संघर्ष…
रोटी के लिए मजदूर होते जा रहे हैं।
आया ऐसा वक्त अब,
कृषक मजदूर होते जा रहें हैं।
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
स्वरचित,मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
द्वारका मोड़,नई दिल्ली-78