विश्वासघाती लोग
दुनिया मे हमको क्यों ?
बुरे लोग ही मिलते है ।
अच्छी बाते करते थे पहले ।
जिसका मैं कायल था ।
मिलते रहे हम उनसे ।
अपना समझकर हमदम ।
मालूम न था दगा देंगे वे ।
बगुला भगत का नाता है ।
हमसे बस यही भूल हुई ।
कि उससे वाकिफ न हो पाए हम ।
दिल के राज किसी से कहो न ।
कल का हैं क्या भरोसा तुमसे ।
वो नाराज हो जाए ।
उछालेगा तुम्हारी बेबसी को ।
तुम्हारे ही लोगो मे ।
आस्तीन का सांप है वो ।
जो बैठा है आपके बगल मे ।
पहचानते हो नही तुम ।
घर का भेदी लंका ढावै ।
जानते हो न तुम ।
अपने निजी बातो को गैर से न साझा करो ।
जो है आपका सबसे प्रियतम उसी से ही कहो बस ।
आपके मजबूरी और कमजोरी का ही है फायदा उठाते लोग ।
अपने ही तो करते है सारे लोग लगाते भोग ।
जो निर्बल, दुर्बल है उसी को सताते है लोग ।
चूहे को मारकर ऐसे खुश होते ।
जैसे मार लिए हो कोई शेर ।
अपनी तुम कमजोरी को ।
मजबूती मे बदलो ।
ताकि दुश्मन का हरेक दांव-पेंच ।
दम तोड़ दे आपके आगे ।
जासूस है वो या बालक है ।
तुमको नही कोई खबर है ।
बचकर रहना इन लोगो से कहता हूँ प्यारो मै अभी से ।
घर मे ही आग लगा दी ।
घर के ही चिरागो ने ।
जलते है तो जलने दो ।
उनका काम है जलना ।
बस तुम कहीं रूक न जाना ।
तुम्हारा काम है चलना ।
दिल के राज किसी से कहो न ।
कल झगड़ा हो सकता है उसी से ।
जिससे जितना प्यार है ।
उसी से अक्सर होती तकरार है ।
बचके रहना उन भेङियो से ।
घर के भेदियो से ।
नीयत जिसकी ठीक नही है ।
सब विनम्र ही है अच्छे लगते ।
लेकिन बिल्कुल ढीठ नही ।
कहता हूं मै सबसे वो बंधु ।
उतना ही बोलो किसी से ।
जितना कि काम हो ।
पांव उतने ही फैलाओ ।
जितनी चद्दर की नाप हो ।
बाकि सब मतलब से ।
बस चलते रहो तुम अपनी मंजिल की तलब मे ।
जापर कछु निज स्वारथ होई ।
तेहि पर ममता करई सब कोई ।।
यही है दुनिया का राज ।
उसका अंदाज ।
कुआं का पानी है मीठा ।
बकरी से बोला लोमड़ी ने ।
बकरी का मन तब ललचाया ।
कूद पड़ी वो झट कुंए मे ।
देख मौके की तलाश मे ।
लोमड़ी चढ बकरी के ऊपर ।
निकल गई बाहर जमी पर ।
पानी न मीठा बकरी न जाना ।
मीठा बस होता प्यार का छलावा ।
बकरी भले ही मर गई वो ।
पर हमको दे गई वो शिक्षा ।
मतलब निकालने के लिए लोग ।
करते कुछ भी इच्छा ।
दिल के राज किसी से कहो न ।
क्या मालूम कल वो आपसे नाराज हो जाए ।
Rj Anand Prajapati