विवेक और बुद्धपुरुष
समझ
विचार करके पैदा होती है,
View वीव यानि देखना.
सिर्फ़ आँखों से देखना.
अधूरा है.
बड़ा अच्छा शब्द है.
विवेक !
देखने के साथ-साथ
सोचना विचारना.
अर्थात मनन करना.
सहज भाव से समय लेना.
विवेक की पूर्णतया निर्धारण है.
परंपरावादी जमाना है.
वर्तमान पर दृष्टि नहीं रखते.
स्वाभाविक है दृष्टिकोण भी रूढिवादी होंगे.
परिणाम शुभ हो ही नही सकते.
क्योंकि आप जो नहीं करना चाहिए.
वो करता है, और करते ही जा रहे हैं.
वैज्ञानिकों ने ब्रह्मांड को जाना.
और अपने अनुभव का सार दे गये.
तथाकथित कौन ऐसी सत्ता नहीं है.
जिस पर आप उम्मीद रखें.
स्वयं, प्रकृति, अस्तित्व
और मन की प्रकृति के अध्ययन के अलावा.
फिर भी … जाति, धर्म, वर्ण आदि व्यवस्था.
कपोल कल्पित कथा-कहानियों पर विश्वास.
और जो सामने ही दिखाई दे रहा है.
जीव से जीव पैदा हो रहा है.
जलज
अण्डज
जरायुज
उष्मज
फिर भी भ्रम टूटता क्यों नहीं.
क्योंकि इसे रोज रोज हररोज़ सुबह से शाम तक प्रचारित किया जाता है.
आदमी ने बोझ ढोने की फितरत पाल ली है.
वह स्वतंत्र और मुक्त रहने की कला भूल चुका है,
वह श्रेय देने में हिचकता है,
क्योंकि इसमें उसकी तौहीन है.
जीव जन्म लेकर, कुछ दिन अपने विकसित निसर्ग के अभियान के तहत मदद लेते है.
फिर एक उंमुक्त पंछियों की तरह.
मनुष्य द्वारा खडे की गई व्यवस्थाओं से स्वयं
स्वयं
स्वयं
स्वयंभू
मन की प्रवृति के अध्ययन मात्र से
आप ऊर्जावान रहेंगे
न गलत कर सकते
न गलत होते देख सकते.
तथाकथित के नाम पर आप नंपुसक
पहले ही बन जाते हो.
उत्पति कैसी
सिर्फ़ विनाश