“ विविधता में एकता फेसबुक की पहचान “
डॉ लक्ष्मण झा ‘परिमल ”
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यह रंगमंच है
फेसबुक ,
सब अभिनय
इसमें करते हैं !
सब अपने में
हैं दक्ष सभी ,
अपनी प्रतिभाओं
को जानते हैं !!
कोई लेखक हैं
कोई बड़े कवि ,
सबका है
अपना योगदान !
भाषा सबकी है
एक नहीं ,
सबकी अलग -अलग पहचान !!
सब धर्मों के हैं
लोग यहाँ ,
संस्कृति सबों की
अपनी है !
रीति -रिवाज
भेष -भूषा भी ,
सब लोगों की अपनी है !!
सब अपना -अपना ,
अभिनय करता हैं !
अपनी – अपनी ,
मंजिल खुद चुनता है !!
इसमें नहीं है
कोई भेद -भाव ,
सब लोग यहाँ के
स्वयं स्वामी हैं !
अपनी मर्जी से
रंगमंच के ,
अद्भुत खेल के
ये सब प्राणी हैं !!
प्रशंसा इन्हें
भाता है हरदम ,
आलोचना सब
नहीं सह सकते हैं !
कुछ दिन ये
सब साथ रहेंगे ,
फिर साथ सदा ये छोड़ते हैं !!
यह रंगमंच है
प्रजातन्त्र ,
इसमें किसी एक
की नहीं चलती है !
बाध्यता और बंधन रहित ही ,
मित्रता सुखमय
केवल चलती है !!
आप पढ़ें
मेरी लेखनी ,
हम भी आपके
लेख पढ़ेंगे !
बाध्यता जहाँ
इसमें होगी ,
हम सब लोग
बिछड़ जाएंगे !!
श्रेष्ठों को ना
छेड़े कथमापि ,
उनको सदा
सम्मान करें !
जब -जब अच्छे
दिन आयें ,
उनको सदा
प्रणाम करें !!
सबको ही जीने
का हक है ,
अपने ढंग से जीते हैं !
बाध्यता भला
लगता है किसको ?
क्षण में तंग हो जाते हैं !!
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डॉ लक्ष्मण झा ‘परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखंड
भारत
02.03.2022.