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26 Aug 2020 · 1 min read

विरहन का सावन

जिनके पिया सरहद पर पड़े हैं ,वो क्या सावन गाएं।
निश -दिन बरसें नयन विरह में ,घुमड़ -घुमड़ हिय जाएं।
मन पर छाई मोरे कारी बदरिया,
अंखियों से बरसे बन अश्रु बदरिया।
शूल सी सतावे रिमझिम फुहरिया।
सूने पड़े हैं वन बाग अटरिया।
जिनके पिया सरहद पर पड़े हैं ,वो क्या सावन गाएं।
निश -दिन बरसें नयन विरह में ,घुमड़ -घुमड़ हिय जाएं।,
मोरे मन के झूले में प्रिय विरह पेंग बढ़े।
तनिक इशारे जाए वहां जहां पिया खड़े।
हाथ मैं रचाऊं तब ही बैरी रक्त मेहंदी बटे।
शीश काट लें शत्रु का मोरे पिया बिन हटे।
धरती मां की लाज राखे मान वो बढ़ाएं।
जिनके पिया सरहद पर पड़े हैं, वो क्या सावन गाएं।
वो ही होगा असली सावन ,
जब घर होगा मोरा साजन।
महकेगा सारा घर कानन,
जन्मभूमि कितनी मन भावन।
रेखा विरहन देशभक्त की गीत मिलन के गाएं।
निश -दिन बरसें नयन विरह में ,घुमड़ -घुमड़ हिय जाएं।
जिनके पिया सरहद पर पड़े हैं ,वो क्या सावन गाएं।।

Language: Hindi
Tag: गीत
2 Likes · 3 Comments · 553 Views
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