विजया बा सूनर
इनसे भी बात की उनसे भी बात की
अगुआ कोई नहीं भी सहारा बना।
बाढ़ में बरदेखुआ जवन आये रहे,
उनके आवे के मौका न दुबारा बना।
विजया ऐसे रहे , बताव कैसे रहे
मेहरी के आस में है नगारा बना।
बाढ़ में बरदेखुआ जवन आये रहे,
उनके आवे के मौका न दुबारा बना।
विजया बा सूनर मेहरारू चाही सूनर।
काम धाम करे और रहे अंदर हूनर।
सोच में ओकरे इहे बा नजारा बना।
बाढ़ में बरदेखुआ जवन आये रहे,
उनके आवे के मौका न दुबारा बना।
केतना जनि मरी जइहें विजया के सुन्दराई प।
सुंदर विजया लुभाईल बा, सपना में अपने लुगाई प।
विजया मेहरी के आंख का है तारा बना।
बाढ़ में बरदेखुआ जवन आये रहे,
उनके आवे के मौका न दुबारा बना।
विजया के जब ख़याल मेहरी के आवे ।
जुबान चलावे विजया और हाथ चलावे।
घर विजया के लड़ाई के ह अखाड़ा बना।
बाढ़ में बरदेखुआ जवन आये रहे,
उनके आवे के मौका न दुबारा बना।
-सिद्धार्थ गोरखपुरी