नव वर्ष
विक्रमी सम्वत हुआ शुरू,दो हजार और अस्सी।
दुर्गा रघुवर पूजिये,सुख वैभव घर बस्सी।
“नल”नाम संवत लगा,समय बड़ा है कच्चा।
बहुत संभल जीवन जिओ,नहीं खाओगे गच्चा।
दुआ करो ये दूर रहें,कोट श्वेत और श्याम।
भूमि रजिस्ट्री, प्रसव में,लें इनसे बस काम।
नवरात्रि नव वर्ष का,देखो हुआ आगाज।
उन अपनों को मनाइए,जो चल रहे नाराज।
बीती बात विसार के आगे की सुध लेव।
नवरात्रि नववर्ष की,शुभकामना देव।