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9 Apr 2020 · 2 min read

विकास एक प्राकृतिक विद्रोह

लेख………विकास एक प्राकृतिक विद्रोह….

अपने भविष्य के विषय में विचार कीजिये,चिंतन कीजिये,मनन कीजिये ओर सोचिये कल तक जिस विकास की बातें समस्त विश्व ढोल नगाड़ों के साथ कर रहा था। आज उस विश्व का समूचा विकास मॉडल आखिर कहां चला गया। यही चिंतन करने का वो समय है,जब हम सबको उस समूचे विकास की जरूरत है.
और आज जरूरत के इस समय में एक देश
सहायता के लिए अन्य देशों पर आश्रित है।
आज जिन जिन देशों में इस महामारी का साया है,उनके विकास का ढाँचा आखिर किस सेवा में कार्यरत है क्यों इतनी बड़ी संख्या में सम्पूर्ण विश्व में मौत का आंकड़ा आसमान छू रहा है.आज इतने लोगों को मौत के मुँह से बचाने के लिए उनकी शासन व्यवस्थाएं क्यों अपर्याप्त है.विकास का ढोल पीटने वाले विकासशील ओर विकसित देश क्यों इतने लाचार है.
आज तक जितनी बार वैश्विक मंचो से जिस समूचे विकास की बातें अनेकों बार दोहराई गयी है क्या यह वही विकास है,जिसमें हम प्रकृति का दोहन कर समस्त विश्व को अपने अनुकूल बनाकर विकास का पायजामा पहनाना चाहते है और एक प्रकार का प्रकृति विद्रोह कर दिन प्रतिदिन प्रकृति को चुनौती दे रहे है.
त्रासदी के इस कठिन समय में जब विश्व के समस्त लोग अपने घरों में शांति से परिवार के संग समय व्यतीत कर रहे है।वहीं कुछ प्रोफेशनल(डॉक्टर,पुलिस,सफ़ाई कर्मी,समाज सेवक इत्यादि)अपने परिवार से दूर अपनी जान की परवाह किए बिना समाज के विभिन्न वर्गों की जरूरतों को पूरा कर सकने में सक्षम हो पा रहे है।

आशा करता हूँ,सभी लोग विकास के इस झूठे मॉडल पर विचार करेंगे.और विकास के नाम पर प्रकृति के साथ खिलवाड़ नही करेंगे जिससे हमारा तथा हमारी आने वाली पीढ़ी का जीवन सुखमय हो.
और आने वाली पीढ़ी को हमारी प्राकृतिक सम्पदाएँ उपहार में देने के हर सम्भवतः प्रयास करेंगे,जिससे आने वाली पीढ़ी को अपने जीवन में इस तरह की महामारी का सामना न करना पड़े।

भूपेंद्र रावत
8।04।2020

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 420 Views
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