वाणी को वीणा की मधुर तान बना दो
एक किसान ने अपने पड़ोसी की निंदा की । अपनी गलती का एहसास होने पर वह पादरी के पास क्षमा मांगने गया । पादरी ने उससे कहा कि वह पंखो से भरा एक थैला शहर के बीचो-बीच बिखेर दे । किसान ने वही किया, फिर पादरी ने कहा कि जाओ और सभी पंख थैले में भर लाओ । किसान ने ऐसा करने की बहुत कोशिश की, मगर सारे पंख हवा से इधर-उधर उङ गये थे ।जब वह खाली थैला लेकर लौटा, तो पादरी ने कहा कि यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है । तुमने बात तो आसानी से कह दी, लेकिन उसे वापस नही ले सकते, इसलिए शब्दो के चुनाव मे ज्यादा सावधानी बरतना चाहिए । जुबान का वजन बहुत कम होता है लेकिन इसे बहुत कम ही लोग सम्भाल पाते है । तलवार से मारा हुआ घाव भर जाता है परंतु वाणी से किया हुआ नही । व्यक्ति की वाणी ही उसके सारे क्रियाकलापो को दर्शा देती है, जैसे कोई लक्षण रोग को दर्शा देते है ।
Rj Anand Prajapati