वह बूढ़ी औरत
वह बूढ़ी औरत
ढो रही
अपने झुके हुए कंधों पर
मैला तो
भूख तो अब भी है
गरीबी तो अब भी है
लाचारी तो अब भी है
यह अच्छा है कि कहीं वीराने में
नहीं है
दुनिया के शोरगुल के बीच है
नहीं तो घुटकर मर जाती
और जल्दी
खुद को पाकर तन्हा।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001