वह औरत
वह औरत
अपना सिर हिलाती है
चेहरा घुमाती है तो
उसके कान में लटकी
बाली भी
हिल जाती है
चूमना चाहती है
वह उसके बालों को
कानों को
गालों को
लबों को
एक आशिक के दिल में
उमड़ते प्यार की प्यास के
सैलाब की तरह पर
वह औरत है इससे अंजान
बेखबर
नादान
एक प्यार की अनुभूति से
अपरिचित
एक कोरे कागज की कोरी जान की तरह।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001