Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Dec 2017 · 4 min read

वही व्यवहार चिकित्सक से करो,जो चिकित्सक से चाहते हो।

December 27, 2017swargvibha

वही व्यवहार चिकित्सक से करो , जो चिकित्सक से चाहते हो ।

प्रस्तुत लेख मे समाज के प्रतिष्ठित वर्ग की समस्यायों की जानकारी दी जा रही है , जिन्हें समाज चिकित्सक वर्ग के नाम से जानता है। चिकित्सक वर्ग समाज के दुखी रोगियों का उपचार करते हैं । रोगी रोग दूर  होने से अधिक चिकित्सक के व्यवहार से प्रभावित होते हैं मृदु भाषी , सौम्य व्यक्तित्व का  चिकित्सक रोगी का आधा दुख अपने व्यवहार से ही दूर कर देते हैं । जबकि कुछ चिकित्सक रोगी की समस्यायों का बढ़ा चढ़ा कर आकलन करते हैं , और रोगी को रोग से भयाक्रांत कर देते हैं , तभी उपचार का भरोसा देते हैं ।

यह सर्वविदित है की चिकित्सक वर्ग की संख्या आम रोगियों की संख्या के अनुपात मे बहुत कम है । रोगियों और चिकित्सकों का ये बेमेल अनुपात चिकित्सकों को अवसाद ग्रस्त बना रहा है ।

विशेष परिस्थितियाँ :– चिकित्सक , फिजीशियन  कुछ विशेष परिस्थितियो का सामना अक्सर करते हैं ।

1-रोगियों के परिजनो की दादागिरी अक्सर सामने आती है जिसकी व्यथा सभी चिकित्सक वर्ग को व्यथित करती है ।

2- कुछ चिकित्सक कार्य की अधिकता के कारण अनिद्रा के शिकार हो जाते हैं ।

3- कुछ चिकित्सकों मे कार्य की अधिकता निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती है , वे संशय ग्रस्त होते हैं ।

4-चिकित्सकों  को कभी –कभी अनावश्यक रूप से रोगियों की शिकायत पर मेडिकल जांच बोर्ड का सामना करना पड़ता है ।

5-चिकित्सक प्रतिदिन रोगियों की मृत्यु एवं परिजनों की संवेदना का साक्षात्कार करते हैं । उपरोक्त कारणो से वे अवसाद ग्रस्त होते हैं ।

 सामान्य रिस्क फ़ैक्टर्स :— 

1-वैवाहिक संबंध टूटना —

चिकित्सक प्रति सप्ताह 48 घंटे कार्य करते हैं । वे शायद ही कभी परिवार के साथ रात्रिभोज मे शामिल होते हैं । फिजीशियन अत्यधिक व्यस्तता के कारण न तो पारिवारिक उत्सवों मे शामिल हो पाते हैं और न ही बच्चों की गतिविधियों मे भागीदार बन पाते हैं । अत  :परिवार भावनात्मक विघटन के कगार पर पहुँच जाता है । एकाकीपन के कारण अलगाव की संभावना बनी रहती है । वैवाहिक संबंधो मे कटुता एवं संबंध विच्छेद फिजीशियन को अवसाद ग्रस्त करती है । वाकई फिजीशियन होने का अर्थ मानसिक तनाव से ग्रस्त होना है ।

2- सामाजिक अलगाव –

फिजीशियन सर्वाधिक एकाकीपन से जूझते हैं । ट्रेनिंग गतिविधियो एवं 48 घंटे प्रति सप्ताह कार्य अवधि के कारण मित्रो एवं परिवार के लिए बहुत कम समय दे पाते हैं । जब वे अन्य स्थलो पर होते हैं तब भी रोगियों एवं औषधियो के संबंध मे ही विचार विमर्श करते हैं । अपने जीवन काल मे बोर्ड परीक्षा की तैयारी , चिकित्सा विज्ञान की तैयारी चिकित्सक को आत्म केन्द्रित , पढ़ाकू एवं अत्यंत प्रतिभा शाली चिंतक एवं विचारक बनती है । इन्ही कारणो से इनमे मित्रता का विकास नहीं हो पाता है ।

3-जीवन साथी से विछोह या मृत्यु का होना –चिकित्सक के पास अपने जीवन साथी की देखभाल के लिए बहुत कम समय होता है । फिजीशियन भावनात्मक रूप से अपनी पत्नी पर निर्भर होते हैं । पत्नी का विछोह उन्हे अवसाद ग्रस्त करता है । अवसाद के कारण फिजीशियन मे स्वयं को हानि पहुंचाने वाले विचार उत्पन्न होते हैं । वे शराब की लत , धूम्रपान , पर स्त्री संबंध आदि बनाते हैं अत्महत्या के विचार आने लगते हैं । असुरक्षा की भावना से ग्रस्त होकर चाकू या बंदूक भी पास मे रखने लगते हैं ।

आर्थिक तनाव —

यद्ध्यपी चिकित्सक सामान्य व्यक्तियों की अपेक्षा अधिक धन उपार्जन की क्षमता रखते हैं , परंतु विडम्बना ये है की वे बचत कम खर्च अधिक करते हैं । कुछ चिकित्सक तो 50 से 60 वर्ष की उम्र मे कर्ज लेते हैं , जैसे गृह कर्ज, शिक्षा कर्ज या वाहन के लिए कर्ज ।

बचपन की घटनाए —जैसे योनाचार , भावनात्मक , शारीरिक हिंसा चिकित्सक को आजीवन अवसाद ग्रस्त करती है ।

अवसाद का पारिवारिक इतिहास —ये चिकित्सक सुग्राही होते हैं ।

सेवा निवृति —- सेवा निवृति जीवन की महत्व पूर्ण घटना है , खालीपन एवं एकाकीपन अवसाद को जन्म देता है ।

आदते —– अवसाद ग्रस्त होने पर अधिकतर चिकित्सक कुछ नहीं करते हैं ,

कुछ समझ ही नहीं पाते की वो अवसाद ग्रस्त हैं , क्योंकि कार्य की अधिकता के कारण वे थकान से चूर होते हैं और ध्यान को दूसरी तरफ लगाने की कोशिश करते हैं । चिकित्सकों का अवसाद को नकारने का ये सामान्य तरीका है की वे सगे सम्बन्धियो , मित्रो से लंबी बातचीत करते हैं , कम्पुटर गेम , फ़ेस बूक , रहस्य मय उपन्यास पढ़ना या चिकित्सक मित्रो के साथ पार्टी मे व्यस्त रहना आदि ।

कुछ चिकित्सक कुकिंग का भी शौक रखते हैं ।

कुछ चिकित्सक अवसाद से बचने के लिए अच्छी पुस्तके पढ़ते हैं , प्रार्थना , साधना , नियमित योगा , गाना नृत्य या मधुर संगीत सुनना , या बच्चों या पालतू जानवरो के साथ खेल कर मन बहलाते हैं ।

अवसाद के कारण चिकित्सक  शीघ्र उत्तेजित हो जाते हैं , चिड़चिड़े हो जाते हैं , या रोगियों पर चिल्लाने लगते हैं ।

अवसाद के कारण ध्यान केन्द्रित करने मे परेशानी होती है क्रियाए शिथिल पड़ जाती हैं , अत्महत्या के विचार भी आने लगते हैं , वजन अधिक बढ्ने या घटने लगता है , भूख कम या अधिक लगने लगती है ।

अवसाद के कारण चिकत्सकों की निद्रा हल्की होती है , या वे निद्रा ग्रस्त रहते हैं या वे जाग्रत अवस्था मे रहते हैं ।

अवसाद ग्रस्त चिकित्सको की मनोदशा  निराशावादी,आत्मग्लानि से युक्त चिंतातुर होती है । उनके व्यवहार मे एवं कार्यो मे आनंद का अभाव होता है । वे उदास गंभीर व्यस्त होते हैं ।

मेरे लेख का अर्थ यह है की जन साधारण को समझना चाहिए की जिन रोगो से ग्रसित होकर वे अपना उपचार संबन्धित चिकित्सक से करवा रहे हैं , वे भी इन्ही रोगों से जूझ रहे होते हैं । अत :अपनी संवेदना , भावना , व्यग्रता व महत्व को ढाल बना कर चिकित्सकों की भावनाओं से नहीं खेलना चाहिए । भावनाए , उत्तेजना , अहंकार क्रोध किसी भी समस्या का निदान नहीं हैं । अपने चिकित्सक से जिस व्यवहार की आप अपेक्षा करते हैं उसी सौम्य मृदु व्यवहार की चिकित्सक भी जन साधारण से अपेक्षा करते हैं । सौम्य व्यवहार की अपेक्षा एक पक्षीय न होकर द्विपक्षीय करने मे समाज की भलाई है तथा चिकित्सक एवं समाज की प्रतिष्ठा के लिए आवश्यक है ।

डा प्रवीण कुमार श्रीवास्तव , वरिष्ठ परामर्शदाता (पैथोलोजिस्ट )

सीतापुर

Language: Hindi
Tag: लेख
3 Likes · 629 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
ईश्वर के सम्मुख अनुरोध भी जरूरी है
Ajad Mandori
यूं ही कोई शायरी में
यूं ही कोई शायरी में
शिव प्रताप लोधी
धुन
धुन
Sangeeta Beniwal
होली
होली
डॉ नवीन जोशी 'नवल'
परोपकार
परोपकार
ओंकार मिश्र
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
कैद है तिरी सूरत आँखों की सियाह-पुतली में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
मन के वेग को यहां कोई बांध सका है, क्या समय से।
Annu Gurjar
पितरों का लें आशीष...!
पितरों का लें आशीष...!
मनोज कर्ण
सितमज़रीफ़ी
सितमज़रीफ़ी
Atul "Krishn"
जीवन में संघर्ष सक्त है।
जीवन में संघर्ष सक्त है।
Omee Bhargava
ज़िंदगानी
ज़िंदगानी
Shyam Sundar Subramanian
दोहा बिषय- दिशा
दोहा बिषय- दिशा
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
मुनाफे में भी घाटा क्यों करें हम।
सत्य कुमार प्रेमी
पोषित करते अर्थ से,
पोषित करते अर्थ से,
sushil sarna
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
3747.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
जब भी सोचता हूं, कि मै ने‌ उसे समझ लिया है तब तब वह मुझे एहस
पूर्वार्थ
"नजर से नजर और मेरे हाथ में तेरा हाथ हो ,
Neeraj kumar Soni
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
मतदान जरूरी है - हरवंश हृदय
हरवंश हृदय
बच्चे
बच्चे
Dr. Pradeep Kumar Sharma
राष्ट्र हित में मतदान
राष्ट्र हित में मतदान
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
ना जाने क्यों जो आज तुम मेरे होने से इतना चिढ़ती हो,
Dr. Man Mohan Krishna
अगर प्रेम है
अगर प्रेम है
हिमांशु Kulshrestha
अनुभव 💐🙏🙏
अनुभव 💐🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
दर्द ना अश्कों का है ना ही किसी घाव का है.!
शेखर सिंह
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
*किसकी है यह भूमि सब ,किसकी कोठी कार (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
#चिंतनीय
#चिंतनीय
*प्रणय*
"समरसता"
Dr. Kishan tandon kranti
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
मुझे जीना सिखा कर ये जिंदगी
कृष्णकांत गुर्जर
Loading...