*वर्षा लेकर आ गई ,प्रिय की पावन याद(कुंडलिया)*
वर्षा लेकर आ गई ,प्रिय की पावन याद(कुंडलिया)
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वर्षा लेकर आ गई ,प्रिय की पावन याद
विरहानल में जल उठी ,विरहिन उसके बाद
विरहिन उसके बाद ,बूँद-जल ताप बढ़ाती
आते काले मेघ ,आग तन में लग जाती
कहते रवि कविराय ,कौन कहता मन हर्षा
प्रिय के बिना उदास, प्यास लाती है वर्षा
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451