वर्दी
कसम वर्दी की है लड़ने जरूर जाऊंगा,
मलूल होना न तुम जल्द लौट आऊंगा।
तुम्हें साड़ी माँ को शाल बेटी को कुर्ती,
अगली छुट्टी में तोहफा तमाम लाऊंगा।
दुआ करो फ़तह हो
या हो शहादत मेरी,
फर्ज निभाने में
कदम न डगमगाए मेरे।
सतीश सृजन,
कसम वर्दी की है लड़ने जरूर जाऊंगा,
मलूल होना न तुम जल्द लौट आऊंगा।
तुम्हें साड़ी माँ को शाल बेटी को कुर्ती,
अगली छुट्टी में तोहफा तमाम लाऊंगा।
दुआ करो फ़तह हो
या हो शहादत मेरी,
फर्ज निभाने में
कदम न डगमगाए मेरे।
सतीश सृजन,