वजूद
एक ही पटरी पर दौड़ती जिंदगी
रोजमर्रा की जद्दोजहद से गुजरती जिंदगी
खो सा गया है अस्तित्तव कहीं
औरत हूँ बस यह याद है…..
स्वतंत्र वजूद कहीं खो सा गया है मेरा
जिन्दा हूँ खाने के लिए या खा रही हूँ जीने के लिए
न जाने कितने किरदारों में जी रही हूँ मैं
औरत हूँ बस यह याद है…..
स्वतंत्र वजूद कहीं खो सा गया है मेरा
अब तो न सुहानी लगती सर्दी
न गुदगुदाती है बारिश
हर दिन एक सा
हर मौसम एक सा
एक ही पटरी पर दौड़ती जिंदगी रोजमर्रा की जद्दोजहद से गुजरती जिंदगी…..