वक्त करवट लेता है
सुना था वक्त करवट लेता है,
सुनकर सुकून मिला, के वक्त करवट लेता है
अब इंतजार था, कि वक्त कब करवट लेता है
हम अपने में ही आस संजोए रहें
दिन रात न जागे न सोए रहें
ढूंढा था एक कोना,
देखने के लिए, के वक्त करवट लेता है
वक्त लगा समझने में के, वक्त ऐसे भी करवट लेता है
के वक्त क्षण में बदल देता है, रिश्तो की डोर को,
के अच्छा हुआ नहीं समझी रिश्तो की डोर,
सुलझने के बाद, अक्सर डोरी अलग हो जाया करती हैं..
समझा अब…
जब वक्त करवट लेता है न,
तो वक्त हमें करवट लेकर रोने भी नहीं देता..
उमेंद्र कुमार