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*प्रणय*
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27 Feb 2023 · 1 min read
“वक़्त के साथ सब बदलते हैं।
“वक़्त के साथ सब बदलते हैं।
हम जो बदले तो क्या गुनाह किया?”
★प्रणय प्रभात★
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