लौटना
ढलते सूरज के पीछे पीछे
उन्ही पगडंडियों पर वापस लौटती
किरणें
छोड़कर चली जाती है रात को
अकेला
कभी कभी किसी का न होना रिक्तता का नहीं
बल्कि
किसी के आगमन का भाव प्रदर्शित करता है
किरणों का लौटना
शायद
जुगनुओं के अस्तित्व के लिए आवश्यक है
ऋषि कौशिक