लो! दिसंबर का महीना आ खड़ा हुआ ,
लो! दिसंबर का महीना आ खड़ा हुआ ,
मगर आई नहीं अभी तक संतोष जनक ऋतु शीत ।
अब यह इंसान की खता है या भगवान की रजा,
जो कुदरत ने बदल दी अपनी यूं रीत ।
लो! दिसंबर का महीना आ खड़ा हुआ ,
मगर आई नहीं अभी तक संतोष जनक ऋतु शीत ।
अब यह इंसान की खता है या भगवान की रजा,
जो कुदरत ने बदल दी अपनी यूं रीत ।