लोहड़ी पर्व पर एक कविता
लोहड़ी पर एक कविता
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आ गई है आज लोहड़ी की पावन घड़ी।
जुड़ गई दिल से दिल की एक नई कड़ी।।
हुआ है मौसम भी खुश मिजाज आज।
थिरकते है सब लोहड़ी जलाकर आज।।
आ जाते है सूर्यदेव भी मकररेखा पर आज।
तिल धान की फसले आने लगती है आज।।
तिल गुड़ गजक का भोग लगाते हैं आज।
मिल कर भगड़ा पाते हम सभी है आज।।
मांगे बच्चे लोहड़ी घर घर जाकर है आज।
दुल्ला भट्टी वाला गीत गाकर मांगे है आज।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम