लोकतंत्र की बदहाली
लोकतंत्र की बहाली के लिए,
विरोधियों को रोकने के लिए,
सरकार एक नया आयाम ले आई है,
सभी सुरक्षा-बलों को अपनी सुरक्षा में
लगा रही है.
जरूरी नहीं है ये जानना,
तकलीफ़ क्या है.
तख्लुअफ़ से अब,
कोई वास्ते नहीं अब,
परेशानी सबसे बडी,
विरोध है,
बंजर भूमि भी,
कमलगट्टे पैदा कर रही है.
सरकार में रहकर भी,
किससे कैसे पार पाना है,
फार्मूला वही पुराना.
हिंदुत्व खतरे में है,
पाकिस्तान के हाल देखों,
भूखमरी हमारी मत देखों,
आठ करोड़ लोगों को व्यवस्था,
सत्ता के गलियारों में मौजूदा है.
डॉक्टर महेन्द्र सिंह हंस