ले चल मुझे उस पार
यहां बहुत दिन खोजा लेकिन,
नहीं दिखता कहीं प्यार।
जिज्ञासा मेरे मन में जागी,
देखूँ वह संसार।
रे नाविक ले चल मुझे उस पार।
यहां लोग कहते तो कुछ हैं,
लेकिन मन में रखते कुछ हैं।
सूरत दिखती कितनी सुंदर,
पर विचार मैले हैं अन्दर।
झूठे वचन कपट छल धोखा,
जन जन का व्यवहार।
रे नाविक ले चल मुझे उस पार।
जब से मां ने मुझको जाया,
नौ द्वारों के नगर में पाया।
बचपन बीता यौवन आया,
तरुणी अंग संग नाचा गाया।
यश धन पाने को बहु भरमा,
किया बनिज व्यापार।
रे नाविक ले चल मुझे उस पार।
उस तट पर तेरा देश कहाँ है,
क्या क्या अद्भुत बात वहाँ है।
मैनें सुना वह देश अनोखा,
नहीं वहां छल कपट या धोखा।
जन्म जरा मृत्यु का नहीं दुख है,
परम प्रकाश व सुख ही सुख है।
जग मग जग मग सब कुछ चमके,
आनन्द की भरमार।
रे नाविक ले चल मुझे उस पार।
अब तक जीवन पाया रीता,
नहीं समझा क्या हारा जीता।
नाविक तू है बड़ा सयाना,
यहां वहां का सब कुछ जाना।
उस तट का दीदार करा दे,
अपनी नाव से पार कर दे।
मानूँ अति आभार।
रे नाविक ले चल मुझे उस पार।