लिपट गेशुओं से गुजारा करेंगे
तुम्हें हम कभी भी न रुस्वा करेंगे
सुबह शाम तेरा ही सजदा करेंगे
बड़े मन्नतों से मिला यार मुझको
मुहब्बत ख़ुदा से भी ज्यादा करेंगे
मुझे जाम दे दे मुहब्बत का साकी
गली एक तेरी ही आया करेंगे
अभी बस रगों में उतरने दे मुझको
कभी चाह कर भी दगा ना करेंगे
लिपट ज़ुल्फ़ से हम तुम्हारे
सभी मुश्किलों में गुजारा करेंगे
समझ ले इशारा मेरी चाहतों का
तुम्हारी ही जुल्फें सवारा करेंगे
तुम्ही से शुरू औ तुम्ही पे खतम हो
कभी दूर तुम से न जाया करेंगे
अभी दिल हमारा भरा ही नही है
भला कैसे साक़ी किनारा करेंगे
– ‘अश्क़’