लिख दूं
कहो,चढ़ रहे शुरुर की रवानी लिख दूं,
कहो,बीते पल की कहानी लिख दूं,,
कहती हो मैं भूल गया हूं,
कहो तो,अपनी कहानी मुंहजबानी लिख दूं,
लिख दूं,वो सबकुछ जो लिख नहीं सका हूं मैं,
जो कभी कह नहीं सका लिख दूं वो सबकुछ,,
वो पेड़,वो छांव,वो गली,वो पत्थर,
क्या लिख दूं,तुम्हारे गांव के चक्कर,,
लिख दूं,हवाओं में घुली तुम्हारी खुशबू को,
या प्यारी सी मुस्कान लिख दूं तुम्हारी,,
वो सर्द रातें,या तेरे पैगाम लिख दूं,
लिख दूं मेरे चेहरे पर लटकती जुल्फें तेरी,,
या उनके नाम सुबह-वो-शाम लिख दूं,
मैं आज भी करता हूं याद तुमको,,
अगर तुम कहो तो तुम्हारे नाम इक पैगाम लिख दूं।।
• विवेक शाश्वत