लिखूँ
आज सोच रहा हूँ
तुमको कुछ लिखूँ……
कुछ तुम्हारी कुछ अपनी बात कहूँ!
तुमको देखकर जो
होठों पर आती मुस्कान वो लिखूँ,
या जब नही मिल पाते तो मायूस दिल की धड़कन लिखूँ !
ख्वाब लिखूँ जो
तुम्हारे साथ पूरे होने से थे,
या लिख दूँ वो छलकता आँसू ,
जो हर रोज छाती के बालों से उलझते थे!
क्या लिख दूँ वो अहसास
जो दूर रह के भी तेरा ही होने थे,
या फिर वो “चुभन” जो अजनबियत से मिली…
क्या लिख दूँ वो जो है जरूरी …..
या फिर आज वो भी लिखूं जो है बहुत गैरजरूरी !
सपनें लिखूँ
मुस्कान लिखूँ
ख़ुशी लिखूँ
बरसात लिखूँ
या लिख दूँ इंतज़ार !
या लिख ही दूँ आज
वो चुभन
वो बेबसी
वो तड़प
वो आँसू
या वो
टूटे अहसास!
सोच रहा हूँ कुछ तो लिखूँ
गर कलम दे मेरा साथ….
सोच रहा हूँ तुमको ही लिखूँ
गर तुम समझो यह जज़्बात !
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