लागेला धान आई ना घरे
काहें रुसल बाटे सावन से बदरिया
लागेला धान आई ना घरे
कइले हाँथे रहि जाई का रोपनिया
लागेला धान आई ना घरे
लोग ताकेला आकासे
धरती रहि जा पियासे
बादर पानी के ना करे अब लदनिया
लागेला धान आई ना घरे
कइले……..लागेला………
सगरो आस लागल मरे
सूरज आगि तरे जरे
गोर बाटे उहो भइल जाता करिया
लागेला धान आई ना घरे
कइले……..लागेला………
दादुर मुँह नाहीं खोले
कहियो मोर नाहीं डोले
बादर पानी के ना होत बा लगनिया
लागेला धान आई ना घरे
कइले……..लागेला………
– आकाश महेशपुरी
दिनांक- 12/07/2022