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6 Dec 2018 · 2 min read

लहर लोकतंत्र की

शीर्षक :-लहर लोकतंत्र की
विधा :- आलेख
कवि :- जीवनदान चारण अबोध

विश्व को विश्वास दिलवाने की ताकत केवल जनमत में ही है
इसलिए मेरे भारत में वर्तमान हालात वही से गुजर रहे हैं सभी की नजरें 7 दिसंबर पर है उल्लास के साथ इस पर्व को मनाने की चोतरफा चोपाले जमती है
किसान उम्मीदे बांधे नये सपने देखता है, युवा रोजगार, गरीब आशियाना ओर दो व्यक्त का गुजारा, विज्ञान नयी तरक्की, के साथ लोकतंत्र से अपना हक मांगता है लेकिन
लोकतंत्र की चिर सुहागिन
हर पांच साल बाद अपना पति बदलती है
हर पांच साल बाद उजड़ता है श्रृंगार
हर पांच साल बाद बुलाई जाती है रुदालियाँ
छातिकूटे के कोहराम के बीच
आहूत होता है स्वयंवर
विधायिका नामक अनिध्य सुंदरी को पाने
सजधज कर पहुंचते हैं
मव्वाली,मुनाफाखोर और भूमाफिया तो दूसरी ओर राष्ट्रवादी, देशभक्त ओर प्रजा हीतेषी
ताकड़ियों पर टके के भाव से इंसानी मोल करते हैं
प्रजातंत्र की जच्चा को
पांच साल बाद होता है जापा
हर पांच साल बाद बजती है
विकास नामक सपूत की थाली
बेबाक शंखों के विजयी जुलूस में
दिव्यांग जनतंत्र को भी मेरा लोक तंत्र नचा देता है।
सम्पूर्ण भारत एक टक लगाए अपने विकास के सपने देखता है फिर भी
झगड़े द्वेष ओर गुटबाजी, भूला हर गाँव।
नेह समर्पण के साथ , यही रह मेरा गाँव।।
इन्ही भावनाओं के साथ मिलजुल कर रहना आज भी भारतीय समाज की परंपरा है जिसे यह लोक तंत्र ओर भी मजबूत करता है,
इसलिए
हर पांच साल बाद
डबडबायी आंखों से ‘राष्ट्र’ दोहराता है
भाग्यविधाताओं का ‘गान’
…जय जय जय जय हे! मेरा भारत महान

Language: Hindi
Tag: लेख
595 Views
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