लम्हा…
लम्हा….
न ज़िस्म रखता हूँ मैं न पर रखता हूँ
…मैं कहाँ कभी दिल में ज़ह्र रखता हूँ
…..एक नन्हा सा लम्हा हूँ वक्त का मग़र
…….मैं सीने में सदियों की ख़बर रखता हूँ
सुशील सरना
लम्हा….
न ज़िस्म रखता हूँ मैं न पर रखता हूँ
…मैं कहाँ कभी दिल में ज़ह्र रखता हूँ
…..एक नन्हा सा लम्हा हूँ वक्त का मग़र
…….मैं सीने में सदियों की ख़बर रखता हूँ
सुशील सरना