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14 Nov 2022 · 1 min read

” लज्जित आंखें “

” लज्जित आंखें ”

कलयुग की इस दुनिया में

गर्वित कैसे हम महसूस करें ?

ईमानदार को दबाए बेईमान यहां

लज्जित आंखें नित झुकी रहें,

बेनाम घूसखोरी विराजे अटेची में

गरीब कैसे ख्वाहिश पूरी करे ?

ना चाहते हुए भी दलदल देखे

फंसे भी ना तो और क्या करे ?

दिखावा बन गया आचरण हमारा

सच्चाई को हम छुपाते रहें

औकात से बाहर करें हम खर्चे

जबरदस्ती अमीरी दिखाते रहें,

परिवार के लिये समय नहीं बचता

पैसे कमाने की होड़ में लगे रहें

बुलबुले सी जिंदगी सिमट जाए तीव्रता से

मीनू आज ये चिंतित स्वर में कहे।

Language: Hindi
1 Like · 175 Views
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