#लघु_दास्तान
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■ हाज़िर_जवाबी
【प्रणय प्रभात】
अभी टॉयलेट में घुसे बमुश्किल 40 सेकेंड्स ही हुए थे कि बाहर से दरवाज़े पर थपकी के साथ आवाज़ आई- “कौन…शाश्वत…?
मेरे मुँह से अनायास हास्यप्रद सा जवाब निकल पड़ा- “जी नहीं! शाश्वत नहीं। मैं नश्वर…।।”
इस तार्किक हाज़िर-जवाबी पर एक पल के सन्नाटे के बाद ठहाका गूँज उठता। बशर्ते बाहर से पूछने वाला समझदार होता।।
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(सत्य घटना पर आधारित)