#लघुकथा
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■ तारीफ़ की आड़ में…
【प्रणय प्रभात】
सारी सब्ज़ियां टमाटर की ख़ूब तारीफ़ करतीं। हमेशा उससे कहतीं कि उसकी टक्कर का फल कोई और है ही नहीं धरती पर। ठीक इसी तरह सारे फल भी उसकी दिल खोल कर प्रशंसा करते। कहते कि उसका मुक़ाबला करने वाली कोई सब्ज़ी संसार में नहीं।
इधर फल और सब्ज़ी समुदाय के बीच अपना वजूद तलाशने पर विवश टमाटर भी मूर्ख नहीं था। उसे पता था कि यह तारीफ़ असल में सुनियोजित षड्यंत्र है, उसे दोनों समूहों से बाहर रखने का। क्योंकि उसके साथ प्रतिस्पर्द्धा का माद्दा दोनों वर्गों में किसी के पास नहीं। ना शक़्ल-सूरत में, ना गुण और श्रेष्ठता में। सारी कोशिश उसे अमान्य कर दूसरे गुट में धकेलने भर की है। बस…।।
★संपादक★
न्यूज़ & व्यूज़
श्योपुर (मध्यप्रदेश)
अनुभव_से_उपजते_हैं_किस्से)